आर्य गुरुकुल का इतिहास

gurukul-bhojan

गुरुकुल का यह स्थान वर्ष 1953 में श्री मालीकराम श्रीराम जी नरेला निवासी ने आर्य समाज की गतिविधियों हेतु दान स्वरूप दिया था। जिसे श्री परमानंद आर्य जी के तीन सुपुत्र श्री सहदेवराज आर्य , श्री कृष्ण आर्य, श्री सुदर्शन कुमार आर्य एवं अन्य साथी श्री जैसाराम जी, श्री मिलावराम जी, श्री रोशन लाल जी आदि ने अनेक बाधाएं आने पर भी अपनी पूर्ण क्षमता से वैदिक संस्कारों एवं सादगी से बचाया और समय समय पर कार्यक्रम कर वैदिक धर्म का प्रचार भी किया।

दिल्ली के गांव का परिपेक्ष होने पर और गांव के लोगों की आध्यात्मिक रुचि न होने एवं बाहरी रोड से इस स्थान का काफी अंदर होना साथ ही साथ संकरा रास्ता होने पर भी एक मुख्य कारण था जिसकी वजह से अधिक संख्या कभी भी न हो पाई। समय के साथ आर्य समाज से जुड़े साथी उन्नति कर अन्य-अन्य स्थानों पर स्थानांतरित हो गए। अंत में तीन भाइयों ने ही केवल इस स्थान की पवित्रता को बचाए रखने का पूर्ण प्रयास किया। समय का पहिया चलता रहा और आर्य समाज की गतिविधियां धीरे -धीरे चलती रही और फिर क्षीर्ण होने लगी यहां तक की हवन के लिए घी, सामग्री और समिधा का खर्च भी आपस में बाट लिया गया।

इस तरह की अनेक कठिनाइयों के पश्चात भी सबसे उत्तम बात यह रही की आप सभी ने कभी भी बच्चों को संस्कार देने में कोई कमी नहीं छोड़ी जब भी कोई बालक रविवार को आर्य समाज में आता तो आप किसी भी बहाने से मंत्र, नियम, महापुरुषों की जीवनी आदि के बारे में बता पारितोषिक दे कर संस्कारित करने का पूर्ण प्रयास किया करते और साथ ही साथ ब्रह्मचारी जिनको अध्ययन के लिए स्थान उपलब्ध नहीं होता था उनको आर्य समाज में स्थान एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की परंपरा को भी स्थापित किया जिसका परिणाम यह कि आज वह सभी विद्यार्थी जो आर्य समाज तिहाड़ ग्राम में रहकर अध्ययन करते थे आज वह अनेक उच्च स्थानों पर कार्यरत है। अंततः वह विद्या और संस्कार का जो बीजारोपण किया था उसी के परिणामस्वरूप आर्य समाज तिहाड़ ग्राम का यह पवित्र स्थान विद्या एवं संस्कार देने के लिए वट वृक्ष बन कर आर्य गुरुकुल तिहाड़ ग्राम में परिवर्तित हो गया है। अपने पूर्वजों के लक्ष्य, अपेक्षाओं, आकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए अपनी सामर्थ्य, श्रद्धा, विश्वास से निरंतर प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए प्रयासरत है।

आर्य समाज के इतिहास के पृष्ठों से जो ज्ञान पाया है उससे पता चला कि हमारे अनेक पूर्वजों ने अपना तन मन धन देकर इस पवित्र स्थली की रक्षा की है। उनके नाम इस प्रकार है -

श्री सुखदेव, श्री राजाराम आर्य, श्री मंगत राम आर्य, श्री छलूराम, श्री गोपाल दास, श्री प्रकाश चन्द महाजन, श्रीमती विज देवी, प्रधान स्त्री समाज, श्री जसवन्त राम जी, श्री हरि नन्दन जी, श्री मौजी राम वाल्मीकि, मा० लछमन दास जी, महाशय खुशी राम, मा० वासुदेव, श्री स्व० मंगत सैन का परिवार, बाबू खैराती राम सूरी, श्रीमती देवी दयाल, श्री भगवान दास, श्री राम जरराह, श्री बालकृष्ण, श्री गंगाराम लूथरा, स्व० श्री गैला राम आनन्द, श्री हरनाथ दास दुआ, श्री छड़कन्दा राम, स्व॰ श्री लेखराज दर्जी इत्यादि सभी का गुरुकुल तिहाड़ ग्राम सदैव आभारी रहेगा। आज हम सब उनसे प्रेरणा लेकर उनको वंदन करते हुए प्रण करते है इस स्थान की रक्षा करते हुए एवं इस पवित्र शिक्षा स्थली की महता को बढ़ाते हुए जीवन भर सेवा के कार्य करते रहेंगे। और आज परमपिता परमात्मा के आशीर्वाद से गुरुकुल तिहाड़ ग्राम में ब्रह्मचारीयों के द्वारा प्रातः एवं सायं वेद के पवित्र मंत्रों से स्वाहा-स्वाहा की आहुतियों से गुरुकुल का वातावरण गुंजायमान होता है। जिससे गुरुकुल का वातावरण भव्य एवं मन को मोहने वाला देखते ही बनता है। क्योंकि आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती और स्वामी श्रद्धानन्द आधुनिक गुरुकुल प्रणाली के अग्रणी थे।

गुरुकुल का मुख्य ध्यान छात्रों को एक प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा प्रदान करने पर है जहां शिष्य एक दूसरे के साथ भाईचारे, मानवता, प्रेम और अनुशासन के साथ रहते है। आवश्यक शिक्षाएँ भाषा, विज्ञान, गणित जैसे विषयों में समूह चर्चा, स्व-शिक्षा आदि के माध्यम से की जाती है। गुरुकुल की शिक्षा बच्चो के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए लाभकारी है। इन्हें मानवता और समानता के बुनियादी नियमों और सादा जीवन, उच्च विचार एवं एकरूपता के नैतिक सिद्धांतों को सिखाया जाता है। पारिवारिक वातावरण से दूर रहने के कारण गुरुकुल में बच्चो के जीवन में आत्मनिर्भरता विकसित होती है।

भारत में गुरुकुल शिक्षा पद्धति की बहुत लंबी परंपरा रही है। गुरुकुल में विद्यार्थी विद्याध्ययन करते है तथा वह संसार की गतिविधियों से अधिक अच्छा ज्ञान प्राप्त करते है। जिससे आत्मानुशासन की प्रवृत्ति का भी विकास होता था। महाभारत में गुरुकुल शिक्षा को गृहशिक्षा से अधिक प्रशंसनीय बताया गया है।

WishlistMenu4$265.00
Top