आर्य गुरुकुल में सही प्रकार का भोजन ही नहीं बल्कि सही समय पर उचित मात्रा में भोजन बच्चों को कराया जाता है जो कि स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। अत्यधिक खाने से शरीर में सुस्ती आती है, जबकि कम मात्रा में भोजन करने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्त्व नहीं मिलते हैं। लेकिन स्वादिष्ट भोजन के कारण हम अपने आप को रोक नहीं पाते I भोजन की सही मात्रा, कप या ग्राम में निर्धारित नहीं की जा सकती है, परंतु जब हम अपने शरीर को ध्यान से सुनते हैं तो हमें भोजन के समय वास्तव में कब रुकना है इसका पता चल जाता है।
हो सकता है हम सही मात्रा में और सही प्रकार का भोजन कर रहें हों, लेकिन अगर हम अपने समय के साथ अनियमित हैं, तो शरीर की पूरी प्रणाली को झटका लगता है और शरीर की प्राकृतिक लय बिगड़ जाती है। इसलिए हमें सही समय में प्रतिदिन और नियमित अंतराल पर भोजन करना चाहिए। यह कहा जाता है कि भोजन बनाने वाले और खाने वाले व्यक्ति की मन की स्थिति भी भोजन को प्रभावित करती है।
गुरुकुल में बच्चों के लिए चाय, केक, बर्गर, पिज्जा इत्यादि सेवन के लिए पूर्णरूप से प्रतिबंद है।
योग में भी हमारे शरीर की प्रकृति के अनुसार व्यक्तिगत आहार का प्रावधान है। एक हीं खाद्य पदार्थ किसी के लिए अनुकूल हो सकता है और किसी के लिए हानिकारक हो सकता है, यह व्यक्ति विशेष की प्रकृति पर निर्भर करता है। यह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करके फैसला करना चाहिए की किस प्रकार का भोजन आप के लिए आवश्यक है और हमें किस प्रकार के भोजन से बचना चाहिए। हमें निश्चित रूप से गुरुकुल में बच्चों के लिए आहार पर ध्यान दिया जाता हैं। और रात्रि में सोने से पहले बच्चों को पीने के लिए दूध दिया जाता है।
निम्न बिंदु गुरुकुल में भोजन की व्यवस्था के लिए बहुत ही महत्व प्रदान करते हैं।